Sunday 29 December 2013

अब यूँ न दगा देना

बुनियाद हिला दी है,सूरत भी बदल देंगे
तस्वीर का क्या कहना तकदीर बदल देंगे

निकल पड़ी है फ़िर से गंगा शंकर की जटाओं से
तुम इसकी शिराओं में नाले न मिला लेना

जब तक है इस सीने में, आग ये देह्केगी
तब तक ही गुलशन में हवाएं भी महकेगी

देखा है कितने दीवानों ने यह सपना
तुम इन दीवानों को अब यूँ न दगा देना

दर्द मिला है सदियों से,राहत के इस मौसम में
मरहम की जगह दिल पे,कांटें न चुभा देना

यह घर हमारा है इस घर के आँगन में
जब कुछ भी गलत हो तो आवाज़ उठा देना


शंकर=हिमालय,नाले=दुसरे दल के नेता

Friday 27 December 2013

hradaya parivartan

ram manohar Agrawal 
12:32 AM (10 minutes ago)
to yogendra.yadav
प्रिय योगेंद्रजी
                   सबसे पहले तो दिल्ली की जनता द्वारा सौंपी गयी नयी और भारी जिम्मेदारी पर खरे उतरने के लिए शुभकामनाएं मुझे पूरा विश्वास है इस बात का पिछले दिनों आपका वक्तव्य देखा जहाँ आपने दूसरे राजनीतिक दलों के इमानदार नेताओं का आम आदमी पार्टी में आने का आह्वान किया हम सभी इसका खुले मन से स्वागत करते हैं मैंने आप की भारत की जनता से आम चुनाव के लिए अच्छे लोगों का चुनाव करने में जो आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बनने योग्य हों सहयोग माँगा पढ़ा उसी में आपने बताया कैसे लोग इसके लिए उपयुक्त होंगे और इसकी प्रक्रिया हम दिल्ली के चुनाव प्रत्याशी चुनने के समय देख चुके हैं इसीमें आपने यह बताया के दुसरे दलसे आने वाले नेता पर दो वर्ष तक चुनाव ना लडने का प्रतिबन्ध होगा जिसे देश हित में कम भी किया जा सकता है हमने पिछले दिनों दो नेताओं को आम आदमी पार्टी से जुड़ते देखा है इनके ह्रदय-परिवर्तन पर मुझे आश्चर्य हुआ पर चलो मान लेते  हैं सचमुच वो जन,देश और लोकसेवा करना चाहते हैं यह सुनिश्चित करने के लिए २ वर्ष का समय बहोत कम है हमें ऐसे अवसरवादी लोगों को दूर रखने के लिए ५-१० वर्ष के समय का प्रावधान रखना होगा देखना इनमें से अधिकांश का दोबारा ह्रदय-परिवर्तन हो जायेगा इस बात का यह मतलब न निकाला जाना चाहिए के हम इनका तिरस्कार कर रहे हैं

इसके पीछे भाव यही है के हमें सिर्फ सच्चे सेवकों को आगे लाना चाहिए चाहे फिर वो आम आदमी हो या पुराने नेता आज तक आम आदमी बाहर था और यह लोग भीतर और हमने तब इनका घमंड देखा इनकी असंवेदनशीलता देखि
अब अचानक इनका ह्रदय-परिवर्तन होता है इन्हें घुटन होती है तो हमारा शंका करना स्वाभाविक है और इस शंका का निवारण हमें इसी बात से होगा जब यह एक लम्बा समय निस्वार्थ भाव से समाज सेवा में दें इन्हें अपनी जन सेवा में निष्ठा सिद्ध करनी होगी या अगर मैं यह कहूँ पहले आम आदमी बनना होगा तो अतिशयोक्ति न होगी एक बार आम आदमी बन जाएँ तो फिर उसी व्यवस्था से इनका चुनाव हो जैसा बाकी लोगों का होगा अरविन्द ने कहा था हम खुश हैं हमें इनके जैसे काम करने का अनुभव नहीं और इसी अनुभव को भुलाने के लिए इन्हें पर्याप्त समय सत्ता से बाहर रहना होगा

आज तीन वर्ष के आन्दोलन के बाद इस बदले हुए परिद्रश्य में कई अवसरवादी लोग आयेंगे मेरा उनसे निवेदन है के अगर जन सेवा ही आपका उद्देश्य है तो साधारण कार्यकर्ता के रूप में यह काम करें आम आदमी पार्टी और उसकी सरकार आपको इसमें अवश्य प्रोत्साहन देगी पर अगर आपकी मंशा सत्ता पाने की है तो आम आदमी का इसमें कोई सहयोग नहीं होगा मेरा इनसे यह प्रश्न है के तब इनका ह्रदय क्यूँ नहीं परिवर्तित हुआ जब संतोष को मारा गया था जब देश की आम जनता पर अत्याचार हो रहा था  

इनको यह समझना होगा के आम आदमी पार्टी का उदय एक विचारधारा के कारण हुआ है जो केवल जन,देश और लोकहित की विचारधारा है व्यक्तिगत हित की नहीं पहले इनको इस विचारधारा को आत्मसात करना होगा और दो वर्षों में ऐसा हो संभव नहीं कई वर्षों की काई जमी है

मुझे विश्वास है यह २ वर्ष का नियम अरविन्द की विचारधारा नहीं है और अगर है तो मुझे आश्चर्य होगा आप लोगों से निवेदन है इसे ५-१० वर्ष किया जाये आशा है आप लोग इसे गंभीरता से लेंगे आज आपके प्रयासों से आम आदमी जागा है हो सकता है अब भी वो पारंपरिक सत्ताधारी या राजनेताओं का विरोध करने का साहस न जुटा पाए पर आम आदमी पार्टी जो उसकी अपनी है उसका अपना परिवार है उससे वो द्रदता से कहने का और विरोध करने का मन बना चुका है और आवयशक हुआ तो अपनी बात मनवाने अनशन भी करेगा आप के जवाब की प्रतीक्षा रहेगी

                                                                                                       शुभकामनाएं

                                                                                                       आम आदमी